उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं। ये फैसले केंद्रीय रेल मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन के तहत लिए गए हैं। रेलवे ने पुराने नामों को नए नामों से बदलकर उनकी सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित करने की कोशिश की है। यह बदलाव यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे टिकट बुकिंग तथा यात्रा में नामों के सही प्रयोग पर असर पड़ेगा।
नाम बदलने का उद्देश्य क्षेत्र की विरासत को सम्मानित करना और स्थानीय पहचान को मजबूती देना है। अमेठी क्षेत्र के कई रेलवे स्टेशनों के नाम अब संतों, धार्मिक स्थलों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए हैं। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश और देश के कई अन्य हिस्सों में रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए थे, जिससे यात्रियों को अपडेट रहना जरूरी हो गया है।
8 रेलवे स्टेशनों के नए नाम – जानिए पूरी लिस्ट
रेलवे ने अमेठी जिले के निम्नलिखित आठ रेलवे स्टेशनों के नाम बदले हैं। नीचे दी गई तालिका में पुराने नाम और उनके स्थान पर रखे गए नए नाम दिए गए हैं।
पुराना नाम | नया नाम |
कासिमपुर हॉल्ट | जायस सिटी रेलवे स्टेशन |
जायस | गुरु गोरखनाथ धाम रेलवे स्टेशन |
मिसरौली | मां कालिकन धाम रेलवे स्टेशन |
बनी | स्वामी परमहंस रेलवे स्टेशन |
निहालगढ़ | महाराजा बिजली पासी रेलवे स्टेशन |
अकबरगंज | मां अहोरवा भवानी धाम रेलवे स्टेशन |
वारिसगंज हॉल्ट | अमर शहीद भाले सुल्तान रेलवे स्टेशन |
फुरसतगंज | तपेश्वरनाथ धाम रेलवे स्टेशन |
यह नाम बदलाव 2024 के मध्य में आधिकारिक रूप से लागू किया गया। ये बदलाव पूर्व सांसद और भाजपा नेता स्मृति ईरानी के आग्रह पर हुए, जिनका कहना था कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को मजबूत करेगा।
नाम बदलाव के पीछे की वजह
रेलवे स्टेशनों के नए नाम धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर रखे गए हैं।
- गुरु गोरखनाथ धाम: जायस स्टेशन के पास गुरु गोरखनाथ का प्रसिद्ध आश्रम है, इसलिए जनमानस की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इसका नाम बदला गया।
- मां कालिकन धाम: मिसरौली रेलवे स्टेशन के आस-पास देवी काली के मंदिर हैं अतः यह नाम दिया गया।
- स्वामी परमहंस: बने रेलवे स्टेशन का नाम प्रमुख संत स्वामी परमहंस के नाम पर रखा गया।
- महाराजा बिजली पासी: निहालगढ़ रेलवे स्टेशन के आसपास पासी समुदाय की अच्छी उपस्थिति है, इसलिए इसका नाम उस समुदाय के महाराजा बिजली पासी के नाम पर रखा गया।
- अमर शहीद भाले सुल्तान: वारिसगंज स्टेशन का नाम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के एक बहादुर शहीद के सम्मान में रखा गया, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- अन्य रेलवे स्टेशनों के नाम भी स्थानीय धार्मिक स्थलों के अनुरूप रखे गए हैं, जैसे मां अहोरवा भवानी धाम और तपेश्वरनाथ धाम।
रेलवे स्टेशन नाम बदलने से क्या होगा प्रभाव?
रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने से यात्रियों को ध्यान रखना होगा कि टिकट बुकिंग, यात्रा योजना और रेलवे सेवाओं में नए नाम ही प्रयोग हों। पुराने नाम से टिकट बुकिंग करने पर दिक्कत हो सकती है।
यह नाम परिवर्तन रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट, आरक्षण पोर्टल और रेलवे टिकट काउंटरों पर प्रभावी हो चुका है। इसलिए यात्रियों को नए नामों की जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा, कई बार नाम बदलाव के कारण रेलवे की समय-सारिणी में अपडेट और सूचना बोर्ड भी बदले जाते हैं।
नई सूची और बदलाव के फायदे
नई नामकरण सूची यात्रा के दौरान भ्रम को कम करेगी, क्योंकि ये नाम स्थानीय सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान से जुड़े हैं। इससे यात्रियों को स्टेशनों की पहचान आसानी से हो सकेगी।
नीचे सारणी में रेलवे द्वारा जारी नाम बदलने की कुछ विशेषताएं दी गई हैं:
विशेषता | विवरण |
क्षेत्र | उत्तर प्रदेश, अमेठी जिले |
कुल स्टेशन संख्या | 8 |
नामकरण आधार | सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक |
नाम बदलने की स्वीकृति | केंद्रीय रेल मंत्रालय |
निर्णय की तारीख | 2024 |
मुख्य वजह | क्षेत्रीय विरासत संरक्षण |
प्रमुख प्रेरक | पूर्व सांसद स्मृति ईरानी |
यात्रियों पर प्रभाव | नई नाम से बुकिंग और पहचान |
यात्रियों के लिए सलाह
- रेलवे की नई सूची के अनुसार टिकट बुकिंग करें।
- पुराने नाम से बुकिंग करने पर रिजर्वेशन में दिक्कत आ सकती है।
- यात्रा से पहले रेलवे की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर स्टेशन नाम चेक करें।
- रेलवे स्टेशन पर नए नामों के अनुसार दिशा-निर्देश पढ़ें।
रेलवे स्टेशन के नामों के बदलाव से यात्रियों को सही जानकारी लेना आवश्यक है ताकि वे यात्रा में किसी असुविधा का सामना न करें।