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UPSC Lateral Entry: बिना एग्जाम बने IAS अफसर, जानिए कैसे खुलता है ये खास रास्ता

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UPSC Lateral Entry

यूपीएससी लेटरल एंट्री सिस्टम ने हाल के वर्षों में भारत की सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया में एक नया बदलाव लाया है. आमतौर पर आईएएस अधिकारी बनने के लिए UPSC सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है, लेकिन लेटरल एंट्री से अनुभवी पेशेवरों को बिना पारंपरिक परीक्षा पास किए अधिकारी बनने का मौका मिलता है. इस व्यवस्था का उद्देश्य सरकारी विभागों में अधिक दक्षता और विविध अनुभव लाने के लिए प्राइवेट सेक्टर व अन्य क्षेत्रों के योग्य उम्मीदवारों को सेवाओं में शामिल करना है.

सरकार ने देखा कि आईएएस अधिकारियों के अलावा अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों का अनुभव नीति निर्माण और प्रशासन में उपयोगी हो सकता है. इसलिए, 2018 से UPSC के तहत ‘लेटरल एंट्री’ पद्धति शुरू की गई जिससे अनुभवी पेशेवरों को संयुक्त सचिव जैसे उच्च पदों पर नियुक्ति दी जाती है.

UPSC Lateral Entry: Latest Update

लेटरल एंट्री का मतलब है सीधे उच्च पदों पर नियुक्त करना, जिसमें उम्मीदवारों को पारंपरिक यूपीएससी परीक्षा की जरूरत नहीं होती. इसके लिए आमतौर पर न्यूनतम 15 साल का कामकाजी अनुभव मांगा जाता है जो प्राइवेट, पब्लिक सेक्टर या गैर-सरकारी संगठनों में हो सकता है.

इस सिस्टम के तहत सरकार द्वारा समय-समय पर सूचना जारी की जाती है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव या डिप्टी सेक्रेटरी के पदों के लिए आवेदन मांगे जाते हैं. यहाँ चयन योग्यता, अनुभव और इंटरव्यू के आधार पर होता है, न कि लिखित परीक्षा के माध्यम से.

लेटरल एंट्री के जरिए चुने गए उम्मीदवारों को IAS अधिकारियों जैसे ही अधिकार, जिम्मेदारियाँ और सैलरी मिलती है. इसका मकसद नये विचार और प्रैक्टिकल अनुभव को प्रशासनिक व्यवस्था में शामिल करना है, जिससे नीतियां और योजनाएं ज्यादा असरदार बन सकें.

स्कीम का उद्देश्य और लाभ

सरकार का उद्देश्य है कि टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट, शिक्षा, हेल्थ जैसी फील्ड के अनुभवी विशेषज्ञों को शामिल किया जाए. इनकी विशेषज्ञता से सरकारी योजनाओं को बेहतर रूप देने में मदद मिलती है और सार्वजनिक सेवा प्रणाली में फ्यूचरिस्टिक अप्रोच आती है.

लेटरल एंट्री का बड़ा फायदा यह है कि इससे प्रशासन में लचीलापन और रचनात्मकता आती है. आउटसाइड टैलेंट का सीधे सिस्टम से जोड़ना नई सोच, तेज़ फैसले और बेहतर कार्यान्वयन का रास्ता बनाता है. पारंपरिक अधिकारियों के साथ काम करके इन एक्सपर्ट्स के अनुभव का लाभ पूरा तंत्र उठा सकता है.

कौन कर सकता है आवेदन?

लेटरल एंट्री के लिए वही लोग अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास संबंधित क्षेत्र में कम से कम 15 साल का अनुभव है. यह अनुभव सरकार, सार्वजनिक संस्थान, प्राइवेट कंपनी या किसी मान्यता प्राप्त गैर-सरकारी संगठन का हो सकता है.

इन पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा लगभग 40–55 साल तक रखी जाती है, जो पद के अनुसार अलग हो सकती है. उम्मीदवार को संबंधित फील्ड में विशेषज्ञता और नेतृत्व का अनुभव होना जरूरी है.

लेटरल एंट्री के लिए आवेदन प्रक्रिया

सरकार ऐसे पदों के लिए औपचारिक अधिसूचना (Notification) जारी करती है. इसमें पद का नाम, योग्यता, अनुभव और आवेदन की अंतिम तिथि दी जाती है. आवेदक ऑनलाइन पोर्टल या संबंधित विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करके आवेदन करते हैं.

सभी आवेदन स्क्रीनिंग के लिए भेजे जाते हैं, जहाँ योग्यता और अनुभव की जांच होती है. उपयुक्त उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है, जहां विशेषज्ञ समिति चयन करती है.

चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किया जाता है और उन्हें मंत्रालय में पदभार सौंपा जाता है. यहाँ उनकी जिम्मेदारी और अधिकार उसी तरह होते हैं जैसे किसी पारंपरिक IAS अधिकारी के.

सरकार और उम्मीदवारों को क्या मिलता है?

लेटरल एंट्री से सरकार को अनुभवी और प्रोफेशनल टैलेंट मिलता है, जिससे प्रशासनिक काम में कुशलता और आधुनिक सोच आती है. वहीं, प्रोफेशनल्स को देश सेवा का अवसर और उच्च पद मिलता है.

सरकारी नीतियों और योजनाओं में नया दृष्टिकोण अपनाने को बढ़ावा मिलता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों का फायदा हो सकता है. लेटरल एंट्री के सफल मॉडल से आने वाले वर्षों में प्रशासनिक व्यवस्था और अधिक मजबूत और प्रभावशाली बन सकती है.

निष्कर्ष

यूपीएससी लेटरल एंट्री सिस्टम सरकार की एक आधुनिक और प्रयोगधर्मी पहल है, जिससे योग्य पेशेवर बिना सिविल सेवा परीक्षा के सीधे प्रशासनिक सेवा में आ सकते हैं. इससे सरकारी कामकाज में दक्षता, पारदर्शिता और नई सोच का संचार होता है.

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