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Delhi Age limit: दिल्ली के स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले की उम्र बदली, शिक्षा निदेशालय ने जारी किया नया सर्कुलर

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Age limit for Delhi Admissions

दिल्ली के स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए आयु सीमा को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। यह बदलाव शिक्षा निदेशालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार किया गया है। कई माता-पिता और बच्चों के लिए यह खबर राहत भी है और चिंता का विषय भी।

दिल्ली में दाखिले के नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं ताकि शिक्षा का स्तर और प्रक्रिया बेहतर बन सके। पिछले कुछ वर्षों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा को लेकर कई तरह की दुविधा थी। अब शिक्षा निदेशालय ने नया सर्कुलर जारी कर साफ कर दिया है कि पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चों की उम्र क्या होनी चाहिए।

इसका उद्देश्य यह है कि बच्चों की शिक्षा के शुरुआती दौर में सही उम्र में प्रवेश मिल सके और मानसिक विकास में कोई बाधा न आए।

Age limit for Delhi Admissions: New Update

दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में पहली कक्षा (Class 1) में दाखिले के लिए उम्र सीमा तय करने संबंधी नया सर्कुलर जारी किया है। नए नियम के अनुसार, अब पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम आयु 6 वर्ष होनी चाहिए। इसका अर्थ है कि जिस स्कूल सत्र में दाखिला लेना है, उस साल 31 मार्च तक बच्चे की आयु 6 वर्ष पूरी हो जानी चाहिए। पहले यह सीमा 5 वर्ष थी, जिसे अब बढ़ाया गया है।

इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को समय पर स्कूल भेजा जाए और वे शारीरिक व मानसिक रूप से पहली कक्षा की पढ़ाई के लिए तैयार रहें। कई बार देखा गया है कि कम उम्र में बच्चे स्कूल जाने लगते हैं, जिससे उनमें तनाव और सीखने में दिक्कत आती है। नई नीति के तहत बच्चों का मानसिक और शैक्षणिक विकास बेहतर हो, यही ध्यान रखा गया है।

शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में यह नियम लागू होगा। यानी अब किसी भी स्कूल में पहली कक्षा में 6 वर्ष से कम उम्र का बच्चा दाखिला नहीं ले सकेगा। अगर किसी स्कूल ने इससे पहले दाखिले दिए हैं, तो उन्हें भी नया नियम मानना होगा।

नया नियम किस नीतिगत बदलाव का हिस्सा है?

यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत किया गया है। एनईपी-2020 का उद्देश्य बच्चों की शुरुआती शिक्षा को मजबूत बनाना और प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 2 तक की पढ़ाई को आधारभूत व्यवस्था में शामिल करना है। इसमें बच्चों के शिक्षा की शुरुआत ‘फाउंडेशनल स्टेज’ के तहत 3 से 8 साल की उम्र में की जाती है। इसी आधार पर दिल्ली ने कक्षा 1 में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र 6 वर्ष तय की है।

पहले कई राज्यों और स्कूलों में पहली कक्षा के लिए अलग-अलग आयु वर्ग मान्य था, जिस कारण बच्चों के विकास में असमानता देखी गई। एनईपी-2020 के अनुसार प्री-प्राइमरी (3 साल) + कक्षा 1 में 6 साल की उम्र तय करने से सभी बच्चों को बराबर अवसर मिलेगा और सीखने की बुनियादी समझ मजबूत होगी।

दाखिला प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज

पहली कक्षा में दाखिला लेने के लिए स्कूलों द्वारा आवेदन के नियम जारी किए जाते हैं। आवेदन के साथ आपको जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, और पासपोर्ट साइज फोटो सहित कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं। आवेदन पत्र स्कूल की वेबसाइट या स्कूल में ऑफलाइन जाकर भर सकते हैं।

आवेदन में सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चे की आयु 31 मार्च तक 6 साल जरूर हो। स्कूल प्रमाण पत्र या जन्म प्रमाण पत्र की मूल प्रति दिखाना अनिवार्य है। सरकारी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया प्रायः निःशुल्क होती है जबकि निजी स्कूलों में शुल्क अलग-अलग हो सकते हैं। आरक्षित श्रेणी (SC/ST/OBC/EWS/Divyang) के छात्रों के लिए विशेष कोटा भी लागू रहता है।

सरकारी सहायता और लाभ

दिल्ली सरकार समय-समय पर गरीब और जरूरतमंद वर्ग के बच्चों की स्कूलिंग सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं चलाती है। जैसे- सरकार के स्कूलों में बच्चों को निःशुल्क किताबें, यूनिफॉर्म और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। बच्चों के परिवहन, पढ़ाई और स्वास्थ्य से जुड़ी कई सहायता योजनाएं भी लागू हैं।

सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने पर बच्चों को सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न छात्रवृत्तियों का भी लाभ मिल सकता है। निजी स्कूलों के लिए भी EWS (Economically Weaker Section) कोटा में दाखिले की सुविधा रहती है, जिसमें पात्र बच्चों की फीस का पूरा या आंशिक खर्च सरकार वहन करती है।

शिक्षा नीति में बदलाव का असर

इस नए आयु सीमा के नियम से दिल्ली के लाखों परिवारों को अपने बच्चों की सही उम्र में दाखिले की जानकारी मिल सकेगी। कम उम्र में दाखिला लेने वालों की वजह से बच्चों पर पढ़ाई का दबाव नहीं पड़ेगा और वे खेल-कूद और सीखने का पूरा आनंद ले सकेंगे। इससे पढ़ाई में बच्चों के प्रदर्शन और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

नई नीति लागू होने पर जिन माता-पिता ने जल्दी-जल्दी बच्चे को पहली कक्षा में भेजने की योजना बनाई थी, उन्हें अब बच्चों की उम्र और एडमिशन समय का सही आकलन करना होगा। इससे बच्चों के विकास में एकरूपता आएगी और सभी को बराबर अवसर मिलेगा।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, दिल्ली में पहली कक्षा के दाखिले के लिए उम्र में बदलाव करके शिक्षा प्रणाली को बच्चों के अनुकूल और प्रभावशाली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह नीति बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिससे उनका बौद्धिक और सामाजिक विकास बेहतर हो सके।

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