इंडियन रेलवे के टिकट बुकिंग में लोअर बर्थ और मिडिल बर्थ को लेकर कई बार यात्रियों के मन में सवाल आते हैं कि दोनों बर्थ के लिए नियम क्या हैं। जब कोई व्यक्ति ट्रेन में लंबे सफर पर जाता है, तो आराम और सुविधा सबसे अहम होती है। खासकर बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांग यात्रियों के लिए बर्थ का चयन बहुत मायने रखता है।
भारतीय रेलवे ने इन यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखते हुए अलग-अलग बर्थ के चयन को लेकर कई नियम बनाए हैं। अक्सर देखा गया है कि ट्रेन के लोअर बर्थ यानी नीचे की सीट के लिए मांग सबसे ज्यादा होती है, जबकि मिडिल बर्थ यानी बीच की सीट ज्यादातर युवाओं या सामान्य यात्रियों को दी जाती है। लोअर बर्थ पर चढ़ना-उतरना आसान होता है, इसीलिए बुजुर्ग और जरूरतमंद लोग इसे प्राथमिकता देते हैं।
लेकिन टिकट बुकिंग के दौरान हर व्यक्ति को उसकी मनचाही बर्थ मिल जाए, यह जरूरी नहीं है। रेलवे का एक सिस्टम है जो आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर बर्थ आवंटित करता है।
Indian Railways Update: New Ticket Booking Rule
लोअर बर्थ मतलब ट्रेन का सबसे नीचे वाला हिस्सा और मिडिल बर्थ ट्रेन के बीच वाला हिस्सा है। रेलवे डिब्बे में साधारणतया तीन तरह की बर्थ होती हैं – लोअर, मिडिल और अपर। इनमें से लोअर बर्थ सबसे आसान मानी जाती है, खासकर चलने-फिरने में दिक्कत वाले या कमजोर लोगों के लिए। मिडिल बर्थ आमतौर पर थोड़ी ऊंची होती है, जिसका इस्तेमाल स्वस्थ यात्री आसानी से कर सकते हैं।
इंडियन रेलवे ने लोअर बर्थ को लेकर खास बर्थ स्कीम लागू की है। इसके तहत वरिष्ठ नागरिक (पुरुष यात्रियों की उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक, महिलाओं के लिए 58 वर्ष या उससे अधिक) और दिव्यांगजनों को लोअर बर्थ कोटा के तहत प्राथमिकता मिलती है। यानी टिकट बुक करते समय अगर आप इस श्रेणी में आते हैं, तो आपके लिए सिस्टम सबसे पहले लोअर बर्थ देने की कोशिश करेगा। अगर सीट उपलब्ध नहीं रही तो ही दूसरा विकल्प दिया जाएगा।
मिडिल बर्थ को लेकर कोई अलग से खास कोटा नहीं है। यानी सामान्य यात्रियों को ही मिडिल बर्थ अलॉट होती है। अगर कोई अपनी पसंद के अनुसार बर्थ चुनता है, तो रेलवे उसे उपलब्धता पर ही दे सकता है। अक्सर त्योहार या छुट्टियों के वक्त सभी बर्थ भरे रहते हैं, तब ऑटोमेटिक सिस्टम के जरिए ही बर्थ अलॉटमेंट होता है।
रेलवे के नियमों के अनुसार, लोअर बर्थ सुनिश्चित रूप से उन्हीं को मिलती है, जिनका नाम वरिष्ठ नागरिक, गर्भवती महिला या दिव्यांग कोटे की श्रेणी में टिक कर रखा गया हो। बाकियों के लिए बर्थ मिलना सीट की उपलब्धता पर निर्भर करता है। अगर यात्रा के दौरान आपके साथ वरिष्ठ नागरिक या दिव्यांग यात्री हैं, तो टिकट बुकिंग करते समय लोअर बर्थ कोटा का ऑप्शन जरूर चुनें।
लोअर बर्थ स्कीम का लाभ कैसे लें?
अगर कोई यात्री रेलवे की लोअर बर्थ स्कीम का लाभ लेना चाहता है तो ऑनलाइन या रेलवे काउंटर से टिकट बुक करते समय उसे ‘लोअर बर्थ/सुपर सीनियर सिटीजन कोटा’ सिलेक्ट करना जरूरी है। ये सुविधा मुख्यतः वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं, 45 वर्ष या उससे अधिक आयु की अकेली महिला यात्री, और 40 फीसदी या उससे अधिक दिव्यांगता वाले यात्रियों को ही मिलती है।
एक कोटे के तहत बुकिंग की जाती है और सिस्टम जरूरतमंद यात्रियों को पहले लोअर बर्थ देने का प्रयास करता है। अगर एक ही बर्थ पर कई पात्र दावेदार हैं तो बर्थ अलॉटमेंट प्राथमिकता और सीट उपलब्धता के अनुसार किया जाता है। यदि लोअर बर्थ उपलब्ध नहीं हो पाती तो सिस्टम ऑटोमेटिकली मिडिल या अपर बर्थ में से कोई विकल्प दे देता है।
यात्रियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि եթե आपने लोअर बर्थ पाई है, तो मिडिल या अपर बर्थ वाला यात्री दिन में आपके बर्थ पर नहीं बैठ सकता। लेकिन रात में सोने के समय हर यात्री को अपनी बर्थ का इस्तेमाल करने का अधिकार है। मिडिल बर्थ के मामले में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक सोने के लिए बर्थ खुली रहनी चाहिए, बाकी समय इसे बंद रखा जा सकता है।
यात्री सफर शुरू होने से पहले समय का गणित भी समझ लें। जैसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए बुकिंग सुबह 8 बजे शुरू होती है और ग्रुप बुकिंग के लिए भी नियम लागू होते हैं। सफर में सुविधा और विवाद से बचने के लिए अभी इन नियमों की जानकारी होना जरूरी है। रेलवे के नियम हर यात्री की सुविधा और सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।
निष्कर्ष
भारतीय रेलवे ने लोअर बर्थ और मिडिल बर्थ को लेकर स्पष्ट नियम बनाए हैं, ताकि बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांगजनों को विशेष सुविधा दी जा सके। टिकट बुकिंग के समय कोटा का सही चुनाव और नियमों की जानकारी होने से सफर और भी आसान और आरामदायक हो सकता है। यात्रा से पहले नियमों को जानना सभी के हित में है और इससे आपका ट्रेन सफर बेहतर और परेशानी मुक्त रहेगा।











