भारत में जमीन और संपत्ति से जुड़े कानूनों में लगातार बदलाव हो रहे हैं। हाल के महीनों में एक खबर तेजी से फैली कि सरकार ने पत्नी के नाम पर जमीन लेने पर कड़ा फैसला लिया है। इस खबर के चलते कई लोग चिंतित हैं कि कहीं अब महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदना मुश्किल तो नहीं हो गया है।
हालांकि, वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। सरकार ने ऐसा कोई नया नियम नहीं बनाया है जो पत्नी के नाम पर जमीन खरीदने पर रोक लगाता हो। बल्कि, सरकार के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति रजिस्ट्री पर छूट और सुविधाएं दी जा रही हैं।
नए नियमों का सच
2025 में भूमि रजिस्ट्री से जुड़े नए नियमों का मुख्य उद्देश्य फर्जीवाड़े को रोकना और पारदर्शिता बढ़ाना है। इसके तहत कई राज्यों में आधार बायोमेट्रिक सत्यापन, डिजिटल दस्तावेज अपलोड और ऑनलाइन भुगतान जैसी नई प्रक्रियाएं लागू की गई हैं।
इन नियमों का उद्देश्य सभी लेनदेन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। इसमें पत्नी के नाम पर जमीन लेने वाले लेनदेन भी शामिल हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस प्रक्रिया पर कोई प्रतिबंध लगाया गया है।
महिलाओं को दी जा रही हैं सुविधाएं
कई राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति रजिस्ट्री पर स्टांप शुल्क में छूट दी जाती है। यह छूट लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए दी जाती है।
इसके अलावा, बिहार जैसे राज्यों में पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को आसान बनाने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। इन नियमों के तहत मात्र ₹100 में जमीन का बंटवारा और रजिस्ट्री की जा सकती है।
भूमि रजिस्ट्री नए नियम 2025: मुख्य बिंदु
विवरण | जानकारी |
नया नियम | डिजिटल रजिस्ट्री, आधार बायोमेट्रिक सत्यापन |
लागू तारीख | 1 जुलाई 2025 से कई राज्यों में |
मुख्य उद्देश्य | फर्जीवाड़े पर रोक, पारदर्शिता बढ़ाना |
महिलाओं के लिए छूट | स्टांप शुल्क में छूट दी जा रही है |
अनिवार्य दस्तावेज | आधार कार्ड, पैन कार्ड, खतौनी, नक्शा |
रजिस्ट्री शुल्क | संपत्ति मूल्य का 1%, अधिकतम ₹30,000 |
ऑनलाइन प्रक्रिया | ई-स्टांप, ऑनलाइन भुगतान, अपॉइंटमेंट |
गवाहों की भूमिका | दो गवाहों की आवश्यकता, बायोमेट्रिक सत्यापन |
रजिस्ट्री की प्रक्रिया कैसे होती है?
संपत्ति रजिस्ट्री की प्रक्रिया अब पहले से काफी सरल हो गई है। अब लंबी कतारों के बजाय ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। ई-स्टांप के माध्यम से स्टांप शुल्क का भुगतान किया जा सकता है।
उप-पंजीयक कार्यालय में जाने से पहले अपॉइंटमेंट ली जा सकती है। रजिस्ट्री के समय आधार बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाता है। इससे फर्जी पहचान को रोका जा सकता है।
गलतफहमी क्यों हुई?
इस गलतफहमी का कारण सोशल मीडिया और यूट्यूब पर फैल रही गलत जानकारी है। कई वीडियो और लेखों में भूमि रजिस्ट्री के नए नियमों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
इनमें कहा जा रहा है कि पत्नी के नाम पर जमीन लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन यह बिल्कुल गलत है। सरकार के आधिकारिक स्रोतों में ऐसा कोई निर्णय नहीं है।
असली नियम क्या हैं?
भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 के तहत संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य है यदि उसकी कीमत ₹100 से अधिक है। यह नियम सभी पर लागू होता है, चाहे संपत्ति किसी पुरुष या महिला के नाम पर हो।
रजिस्ट्री के लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, खतौनी, नक्शा और बकाया कर न होने का प्रमाण पत्र शामिल हैं। इन दस्तावेजों की जांच डिजिटल और मैनुअल दोनों तरीकों से की जाती है।
निष्कर्ष
संपत्ति रजिस्ट्री के नए नियमों का उद्देश्य सभी लेनदेन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है। इसमें पत्नी के नाम पर जमीन लेने वाले लेनदेन भी शामिल हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस प्रक्रिया पर कोई प्रतिबंध लगाया गया है।
बल्कि, सरकार महिलाओं के नाम पर संपत्ति रजिस्ट्री को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए कई राज्यों में स्टांप शुल्क में छूट जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।