नूंह जिले की बंजर भूमि पर खेती की नई उम्मीद जगी है। गुरुग्राम से पलवल तक एक नया बरसाती नाला बनाने की योजना बनाई गई है, जिससे नूंह की बंजर भूमि में स्थायी सिंचाई का पानी पहुंचेगा और खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों को लंबे समय से चली आ रही सिंचाई की समस्या से छुटकारा मिलेगा और उनकी फसलों की पैदावार बढ़ेगी।
गुरुग्राम में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई है। इस नाले से गुरुग्राम, सोहना, नूंह और पलवल जिले से होकर यमुना नदी तक पानी निकाला जाएगा, जिससे क्षेत्र में जलभराव की समस्या भी खत्म होगी।
New Gurugram-Palwal Project: Latest Drainage System
नूंह जिले की लगभग 2.7 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य है, लेकिन पानी की कमी की वजह से यह पूरी तरह उपजाऊ नहीं बन पाती। जिले में बरसात के जल की निकासी और स्थायी सिंचाई के लिए गुरुग्राम से पलवल तक नया बरसाती नाला बनाया जाएगा। यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित होगी क्योंकि इससे उन्हें बार-बार बारिश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। नाले से पानी उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे गेहूं, सरसों, ज्वार, और बाजरा जैसी फसलों की उपज में सुधार होगा। नाले के बनने से नजफगढ़ नाले पर भी दबाव कम होगा। गुरुग्राम जैसे बड़े शहर में जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान भी इस परियोजना से होगा।
किसानों ने इस योजना का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि नूंह की जमीन अपार संभावनाओं से भरी हुई है, पर पानी की कमी ने खेती की प्रगति को रोका है। अब इस नाले के बनने से खेती में स्थायित्व आएगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। सरकार द्वारा एक महीने में इस परियोजना के लिए विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इस योजना के तहत प्राकृतिक विपदाओं से स्थानीय किसानों को राहत मिलेगी और अधिक सतत खेती सम्भव होगी।
योजना के तहत सरकार द्वारा सहायता एवं सुविधाएं
यह योजना हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से संचालित की जा रही है। सरकार ने किसानों को तालाब बनाने के लिए भी सहायता दे रही है ताकि बारिश के जल का संचयन हो सके। किसान यदि तालाब बनवाते हैं तो उन्हें 70 से 100 प्रतिशत तक की अनुदान राशि दी जाती है, जो अधिकतम 20 लाख रुपये तक हो सकती है। इस तरह के जल संरक्षण प्रयास खेती को ज्यादा टिकाऊ बनाएंगे।
इसके अलावा हरियाणा सरकार प्राकृतिक खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत भूमिहीन किसानों को जमीन और प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। प्राकृतिक खेती के लिए मंत्रालय ने विशेष मंडी और लैब सुविधा भी शुरू की है। किसानों को जैविक खेती के लिए कच्चे माल के भंडारण, प्रोसेसिंग उपकरण और देसी गाय की खरीद पर सब्सिडी मिलती है। इस तरह की पहल किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित हो रही है।
नाला निर्माण की तकनीकी और प्रशासनिक जानकारी
इस नाले का मार्ग चुने जाने में भौगोलिक परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। जहाँ जरूरी होगा, पानी को पहाड़ी क्षेत्रों में उठाने (लिफ्ट) के उपाय किए जाएंगे। जीएमडीए, सिंचाई और जल संसाधन विभाग मिलकर इस परियोजना की विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट एक महीने के अंदर तैयार करेंगे। परियोजना की प्रगति केंद्रीय मंत्री विचार करेंगे और नाले के रास्ते में पड़ने वाली सरकारी भूमि पर जलाशयों की भी सूची बनाई जाएगी।
आवेदन का तरीका और योजना का लाभ
किसान अगर तालाब निर्माण या जल संरक्षण योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो उन्हें हरियाणा सरकार की संबंधित कृषि या जल संसाधन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए भूमि और फसल का पंजीकरण भी अनिवार्य है। तालाब के लिए अनुदान राशि पाने हेतु किसान को अपने इलाके के जिला कृषि कार्यालय से मार्गदर्शन लेना चाहिए। योजना में सामुदायिक और व्यक्तिगत दोनों प्रकार के तालाब निर्माण शामिल हैं। सामुदायिक तालाब की क्षमता लगभग 66.5 लाख लीटर होती है, जबकि व्यक्तिगत तालाब लगभग 31.5 लाख लीटर क्षमता के होते हैं। योजना किसानों को अपने खेतों में जल की स्थिर उपलब्धता सुनिश्चित कर खेती को मजबूत बनाएगी।
निष्कर्ष
गुरुग्राम से पलवल तक बनाए जा रहे नए बरसाती नाले से नूंह जिले की बंजर भूमि पर खेती की संभावनाएं बढ़ेंगी। इस योजना से किसानों को पानी की कमी की समस्या से राहत मिलेगी और खेती में वृद्धि होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र का समग्र विकास होगा और किसानों की आय में सुधार होगा। सरकारी योजनाओं से सिंचाई के साथ-साथ प्राकृतिक खेती को भी बल मिल रहा है, जो किसानों के लिए खुशखबरी है।