भारत में गेहूं की कीमतों में अचानक बहुत तेजी आ गई है। खासकर इस समय त्योहारों के सीजन के कारण गेहूं की मांग बढ़ गई है। गेहूं के दाम मंडियों में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से कई गुना ऊपर चले गए हैं, जिससे किसान बड़े लाभ में हैं।
हालांकि इससे गेहूं से बने अनाज जैसे रोटी और आटा महंगे होने की भी संभावना बढ़ गई है। इस लेख में जानेंगे कि इस समय गेहूं की कीमतें कितनी बढ़ गई हैं, सरकार की क्या योजनाएं है, और सामान्य उपभोक्ता एवं किसान को इसका क्या प्रभाव होगा।
New Wheat Price: Latest Update
2025 के अक्टूबर माह में गेहूं की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी गई है। भारत के कई राज्यों की मंडियों में गेहूं का भाव 3000 से 5800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र की मुंबई मंडी में गेहूं का भाव ₹5800 प्रति क्विंटल रिकॉर्ड किया गया है, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी औसतन गेहूं ₹2500 से ऊपर बिक रहा है, जबकि कुछ मंडियों में यह ₹2665 तक पहुंचा हुआ है। मध्य प्रदेश के आष्टा मंडी से लेकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और मध्य भारत की कई मंडियों में गेहूं की कीमतों में भारी उछाल आया है। यह तेजी कई कारणों से हुई है, जिनमें बढ़ती मांग, रबी फसल की कटाई का सीजन, और वैश्विक बाजार के भाव आदि शामिल हैं।
किसानों के लिए यह समय लाभकारी है क्योंकि बाजार में गेहूं एमएसपी से ऊपर बिक रहा है। सरकार ने 2025-26 के रबी विपणन वर्ष के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2425 प्रति क्विंटल रखा है, लेकिन मंडियों में दाम इससे कहीं ज्यादा हैं। इस नीति के तहत किसान अपने गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं, जिससे उन्हें नुकसान नहीं होता। इस बार सरकार ने रबी विपणन के लिए करीब 6500 केंद्र स्थापित किए हैं, जहां किसान अपने फसल को बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से बेच सकते हैं। इससे किसानों को उनका उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित होता है।
सरकार की योजना और समर्थन
सरकार ने गेहूं की खरीद प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। राज्य सरकारों के सहयोग से केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए “मूल्य समर्थन योजना” लागू की है जिसमें किसान अपने फलकों का ऑनलाइन सत्यापन करवा कर ही केंद्रों पर गेहूं जमा कर सकते हैं। इससे फसलों की गुणवत्ता और खरीद प्रक्रिया में सुधार हुआ है और किसान को बेहतर भुगतान मिलता है।
इसके अतिरिक्त, पंजाब सरकार जैसी कुछ राज्यों में किसानों को फ्री गेहूं के बीज और कृषि सब्सिडी भी दी जा रही है ताकि वे बेहतर पैदावार कर सकें। इस वर्ष 2025-26 के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं जिसमें बाढ़ प्रभावित किसानों को विशेष मदद भी दी जा रही है। सरकार ने गेहूं खरीद वर्ष 2025-26 की अवधि 17 मार्च से 15 जून तक निर्धारित की है, ताकि फसल की खरीद में व्यवधान न हो। इन केंद्रों से गेहूं की खरीद “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर की जा रही है, जिससे भी किसानों को फायदा मिलता है।
मंडी में गेहूं की बढ़ी कीमत का मुख्य कारण भी घरेलू मांग में बढ़ोतरी है। त्योहारों के उत्तरी सीजन में खाने-पीने की चीजों की खपत बढ़ जाती है। इसके अलावा गेहूं के बढ़े हुए दामों से मोलभाव के कारण दुकानदार भी रोटी, आटा और अन्य गेहू आधारित उत्पादों की कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
गेहूं की कीमत बढ़ने के कारण
गेहूं की कीमत के अचानक बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण है घरेलू मांग में वृद्धि। त्योहारों और सर्दियों में लोग अधिक गेहूं आधारित खाद्य पदार्थों की खपत करते हैं। दूसरा, खेतों से ताजा कटाई के समय बाजार में आवक में कुछ अस्थायी कमी हो सकती है, जिससे कीमतें ऊपर जाती हैं।
तीसरा कारण वैश्विक बाजार की स्थिति भी है जहां अमेरिकी, रूसी, यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों ने इस वर्ष अधिक उत्पादन संभव करते हुए भी व्यापार नीति में कड़ाई रखी हुई है। इससे आयात-निर्यात के बाजार में अनिश्चिता बनी हुई है। चौथा, जलवायु परिवर्तन और इस वर्ष की अप्रत्याशित मौसम स्थिति भी उत्पादन में असंतुलन ला सकती है।
इन सभी कारणों के मिलाजुला परिणाम के रूप में बाजार में गेहूं की कीमतों में उछाल दिख रहा है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले त्योहारों और ठंड के सीजन में जब तक नई फसल बाजार में नहीं आती, गेहूं का दाम इसी स्तर पर या उससे भी बढ़ सकता है।
उपभोक्ताओं और किसानों पर प्रभाव
इस बढ़ीं हुई कीमत का सीधा असर उपभोक्ताओं पर होता है क्योंकि रोटी, आटा, और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है। आम परिवारों को अब पहले से ज्यादा गेहूं खरीदने में अधिक खर्च करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर, किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलने से लाभ भी होता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।
सरकार की खरीद और समर्थन योजनाओं के कारण किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपने फसल को बेचकर नुकसान से बचते हैं और आर्थिक सुरक्षा पाते हैं। साथ ही, फसल बीज, रसायन और खेती के अन्य संसाधनों पर दी जाने वाली सब्सिडी से किसान खेती में सुधार कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अक्टूबर 2025 में गेहूं की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण बढ़ती मांग और बाजार की अनियमितताओं को माना जा रहा है। इस समय सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचा रही है, जबकि उपभोक्ताओं को कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। आगे भी त्योहारों के कारण बाजार में गेहूं की कीमतें ऊंची रह सकती हैं, इसलिए उपभोक्ताओं को इसका ध्यान रखते हुए अपनी खरीदारी करनी चाहिए। सरकार की योजनाएं और समर्थन किसानों की पैदावार और आय को मजबूत बनाए रखने में सहायता कर रही हैं।