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धान में कब डालें यूरिया, डीएपी और पोटाश? जानें सही समय और सही मात्रा!

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Urea DAP Potash Quantity For Dhan

धान की अच्छी पैदावार के लिए यूरिया, डीएपी और पोटाश खाद का सही समय और सही मात्रा में इस्तेमाल बहुत जरूरी है। किसानों को अक्सर खाद डालने के सही तरीके और अवधि को लेकर सवाल होते हैं। इस लेख में जानेंगे कि धान में यूरिया, डीएपी और पोटाश कब और कितनी मात्रा में डालें, ताकि फसल स्वस्थ और उपज अधिक हो सके।

धान की खेती में खाद डालना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसकी शुरुआत खेत की तैयारी से ही हो जाती है। अगर खाद सही समय और सही मात्रा में डाली जाए, तो पौधों की बढ़वार अच्छी होती है और उत्पादन भी बढ़ता है। सरकारी अनुसंधान और कृषि विभाग के अनुसार, हर खाद की अपनी भूमिका और उपयोग का समय होता है।

धान की फसल में यूरिया, डीएपी और पोटाश का इस्तेमाल

धान के लिए यूरिया, डीएपी और पोटाश तीनों बहुत जरूरी खाद हैं। डीएपी पौधों को शुरुआती पोषक तत्व देता है, यूरिया उनमें नाइट्रोजन की पूर्ति करता है और पोटाश पौधों की मजबूत जड़ें और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। सही समय और सही मात्रा समझना, फसल की सेहत के लिए जरूरी है।

डीएपी कब और कितना डालें?

  • खेत की तैयारी के समय (रोपाई से पहले): डीएपी का प्रयोग सबसे पहले खेत की तैयारी के दौरान किया जाता है।
  • प्रति एकड़ 45-50 किलोग्राम डीएपी: रोपाई के समय डीएपी मिट्टी में मिलाना चाहिए।
  • डीएपी उपलब्ध कराता है फॉस्फोरस और कुछ नाइट्रोजन, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं।

यूरिया कब और कितना डालें?

  • पहली बार, रोपाई के 20-25 दिन बाद: प्रति एकड़ 35-40 किलोग्राम यूरिया।
  • दूसरी बार, रोपाई के 40-45 दिन बाद: फिर से प्रति एकड़ 35-40 किलोग्राम यूरिया।
  • यूरिया पौधों की हरी-भरी वृद्धि के लिए जरूरी नाइट्रोजन देता है।
  • यूरिया को हमेशा गीली मिट्टी में, हल्की सिंचाई के बाद डालें, जिससे पौधों को फायदा मिले।

पोटाश कब और कितना डालें?

  • खेत की तैयारी के समय (डीएपी के साथ): पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय डालें।
  • प्रति एकड़ 25-30 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP):
  • पोटाश पौधों को मजबूत बनाता है और फसल को रोगों से बचाता है।
  • यह फूल, दाने और जड़ पर अच्छा असर करता है।

खाद डालने की सही प्रक्रिया

  • खाद को मिट्टी में मिलाते समय ध्यान रखें कि यह एकसार फैले।
  • रोपाई के तुरंत बाद डीएपी और पोटाश डालें।
  • यूरिया का इस्तेमाल दो बार करें, पहली बार शुरुआती बढ़वार और दूसरी बार फूल/दाना लगने से पहले।
  • ज्यादा खाद से नुकसान हो सकता है, इसलिए केवल सुझाई गई मात्रा ही डालें।
  • खाद डालने के बाद हल्की सिंचाई करें।

धान में खाद डालने का संक्षिप्त सार

खाद का नामकब डालें
डीएपीखेत की तैयारी व रोपाई
यूरिया20-25 व 40-45 दिन बाद
पोटाश (MOP)खेत की तैयारी व रोपाई
डीएपी की मात्रा45-50 किग्रा/एकड़
यूरिया की मात्रा35-40 किग्रा/एकड़ (दो बार)
पोटाश की मात्रा25-30 किग्रा/एकड़
पहला यूरियारोपाई के 20-25 दिन बाद
दूसरा यूरियारोपाई के 40-45 दिन बाद

खाद डालने के फायदे

  • पौधे हरे-भरे और मजबूत बनते हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • फूल और दाना लगना बेहतर होता है।
  • उपज में बढ़ोतरी होती है।
  • मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
  • पौधों की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं।

खाद डालने में सावधानी

  • सही मात्रा से ही खाद डालें, अधिक मात्रा नुकसानदायक है।
  • मिट्टी का परीक्षण करवाएं, तभी सही खाद चुनें।
  • सभी खाद डालने के बाद हल्की सिंचाई जरूरी है।
  • यूरिया हमेशा दो हिस्सों में डालें।
  • डीएपी और पोटाश को रोपाई के समय डालें।

प्रमुख सरकारी सिफारिशें

  • “कृषि विभाग” के अनुसार धान की फसल में प्रति एकड़ 45-50 किग्रा डीएपी, 35-40 किग्रा यूरिया (दो बार में) और 25-30 किग्रा पोटाश डालना सही है।
  • अलग-अलग राज्यों में इनकी मात्रा में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
  • फसल की किस्म और मिट्टी के हिसाब से खाद की मात्रा बदलती हैं।
  • राज्य सरकारें समय-समय पर खाद वितरण और सलाह देती हैं।
  • किसान मोबाइल एप या कृषि विभाग के हेल्पलाइन से जानकारी ले सकते हैं।

जानें उपयुक्त समय का महत्व

खाद का सबसे उपयुक्त समय वह है जब पौधा पोषक तत्वों की मांग रखता है।
रोपाई के समय डीएपी और पोटाश देने से जड़ें मजबूत होती हैं।
यूरिया के दो हिस्से देना पौधों की निरंतर बढ़वार सुनिश्चित करता है।

किसानों के लिए टिप्स

  • खेत की मिट्टी का परीक्षण जरूर कराएं।
  • स्थानीय कृषि अधिकारियों की सलाह जरूर लें।
  • बहुत गर्म मौसम या तेज बरसात में खाद न डालें।
  • खाद की अच्छी गुणवत्ता चुनें।
  • जब भी खाद डालें, फसल की हालत देखें।

निष्कर्ष

सही समय और सही मात्रा में यूरिया, डीएपी और पोटाश डालना धान की अच्छी फसल के लिए जरूरी है। इसके लिए सरकारी कृषि विभाग की सलाह को मानना ही सबसे उचित है। खाद डालने से पहले मिट्टी का परीक्षण और स्थानीय विशेषज्ञों की राय लाभकारी रहती है।

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